
राहुल पुणे से भोर के सुनसान स्टेशन आता है। दिन में तो सब सामान्य लगता है, पर जैसे ही शाम ढलती है, स्टेशन पर अजीब सी ठंडी हवा और अंधेरा छा जाता है।
फोटो खींचते समय कैमरे में एक धुंधली लड़की दिखती है — सफेद ड्रेस, कटी कलाई, और आँखें जो सीधे कैमरे में देखती हैं।
राहुल चौंकता है। लेकिन सोचता है:
“इसे मैं अपने ब्लॉग का हाइलाइट बनाऊंगा।”
रात 12:13 – पहली बार स्टेशन की पुरानी घंटी अपने आप बजती है।
श्याम काका राहुल को आगाह करते हैं –
“बाबा… इथं रात्री कोणी थांबत नाय… मीरा येते. एकदाच आली की, परत जात नाही कोणी.”
राहुल अगली रात कैमरा, लाइट, वॉइस रिकॉर्डर लगाकर फिर आता है। रात के 12:13 पर, एक पुरानी ट्रेन की आवाज़ आने लगती है, जबकि कोई ट्रेन शेड्यूल में नहीं है।
स्टेशन पर एक पुरानी लड़की प्रकट होती है। वो धीरे-धीरे राहुल के पास आती है और कहती है:
“क्या तुमने मेरी तस्वीर ली थी…? अब मुझे देख भी लो…”
कट टू ब्लैक –
राहुल बेहोश हो जाता है। सुबह उठता है, तो फिर वही दिन! वही ट्रेन, वही सूरज, वही टाइम!
वो फंस चुका है… एक टाइम लूप में।
राहुल रिसर्च करता है – मीरा एक कॉलेज गर्ल थी, जो 1986 में इसी स्टेशन से घर जाते वक्त ट्रेन से गिरकर मारी गई थी। पर रहस्य ये था कि उसने किसी से बात करते वक्त कूद मारी थी…
उसकी लाश कभी नहीं मिली। सिर्फ एक आखिरी तस्वीर – जिसमें वो मुस्कुरा रही थी, लेकिन पीछे से कोई धक्का देता दिखता है।
राहुल को शक होता है – क्या किसी ने उसे मारा?
रात को फिर वही लूप। लेकिन इस बार मीरा उससे कहती है:
“जब तक मेरी मौत का सच सामने नहीं आता… हर इंसान इस लूप में फंसेगा।”
राहुल CCTV फुटेज, लोकल पेपर्स और श्याम काका से पूछताछ करता है। पता चलता है कि मीरा की मौत आत्महत्या नहीं थी — उसका प्रेमी कुणाल (जो अब गुम है) ने ही धक्का दिया था। वजह? दहेज का लालच।
पर चौंकाने वाली बात ये कि – कुणाल राहुल का दोस्त था! वही जिसने उसे भोर स्टेशन की लोकेशन दी थी।
मतलब मीरा ने राहुल को बुलाया ताकि वो सच को सबके सामने लाए।
राहुल ट्रेन की पटरी पर खड़ा होकर, कैमरे से मीरा का आखिरी वीडियो दिखाता है – जिसमें कुणाल धक्का देता दिखता है।
मीरा धीरे-धीरे मुस्कुराती है, और हवा में घुल जाती है। लूप टूट जाता है।
राहुल राहत की सांस लेता है…
लेकिन एंड क्रेडिट के पहले, कैमरा ज़ूम करता है एक नई तस्वीर पर…
जिसमें राहुल का चेहरा फीका पड़ चुका है, और कोई दूसरी आत्मा पीछे खड़ी है।
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