मुंबई की बारिश हो रही है। आरव एक कैफे के कोने में बैठा है, भीगती यादों के साथ।
वहीं काव्या अंदर आती है, भीगी हुई, और ज़िद करके आरव के टेबल पर बैठ जाती है।

  • दोनों की पहली मुलाकात।
  • दोनों में बहस – “अकेले बैठा हूँ”, “ये टेबल सबके लिए है!”
  • काव्या एक चाय मंगवाती है, आरव कॉफ़ी।
  • चाय गिरती है – हँसी के साथ हलकी शरारतें।
  • दादी आरव को ज़ोर देती है कि उसे किसी लड़की से मिलना चाहिए।
  • आरव गलती से फिर से काव्या से टकरा जाता है – इस बार काव्या की बकरी “गुलाबो” के साथ।
  • बकरी चाय की दुकान पर बैठ जाती है।
  • काव्या हँसती है – आरव पहली बार मुस्कुराता है।
  • दोनों साथ में चाय पीते हैं, फोटोग्राफी और रेडियो के बारे में बातें करते हैं।
  • आरव धीरे-धीरे बदल रहा है। अब वो फोटोग्राफी में काव्या की हँसी को कैद करता है।
  • काव्या आरजे शो में आरव को लेकर छुपे शब्दों में बातें करने लगती है।
  • दादी काव्या को घर बुलाती है – गुलाबो के लिए स्पेशल रोटियाँ बनती हैं।
  • एक दिन आरव को पता चलता है कि काव्या दिल्ली शिफ्ट हो रही है – नया रेडियो शो।
  • आरव गुस्से में कुछ गलत बोल देता है – “तुम्हें कुछ फर्क नहीं पड़ता!”
  • काव्या रोती है, गुलाबो भी उदास हो जाती है।
  • आरव वापस अकेला हो जाता है।
  • आरव को अपने फोटो एग्ज़िबिशन में काव्या की एक तस्वीर दिखती है – वो मुस्कुराती है, आँखों में आँसू।
  • वो भागता है, बारिश में – स्टेशन जाता है।

स्टेशन पर काव्या जाने ही वाली होती है…

आरव: “एक आखिरी चाय… फिर जा सकती हो।”

काव्या हँसती है, रोती है, कहती है –
“मैं चाय नहीं छोड़ सकती… और तुम्हें भी नहीं।”

🎉 दोनों गले लगते हैं – गुलाबो खुशी से मिमियाती है।
दादी छुपकर सब देखती हैं – मुस्कुराते हुए।


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